पीढ़ी अंतराल (generation gap) –
समाज में जन्म लेने वाले बच्चे जब युवा हो जाते हैं तो वे एक नई पीढ़ी का निर्माण करते हैं और एक समय बाद जब उनके बच्चे युवा बनते हैं तो दूसरी पीढ़ी का निर्माण होता है इस तरह आयु के आधार पर 20-25 वर्ष के अन्तराल की समाज में सामान्यतः तीन पीढ़ियाँ पायी जाती हैं –
(1) युवा पीढ़ी (Youth generation)
(2) प्रौढ़ पीढ़ी (Adult generation)
(3) वृद्ध पीढ़ी (Old generation)
लगभग समान आयु के लोगों में विचार, मनोवृत्तियों, मूल्यों, प्रतिमानों, व्यवहारों आदि में अन्तर होने के कारण जो संघर्ष होता है उसे अंतःपीढ़ीय संघर्ष (Intra-generational Conflict) कहते हैं, जैसे – दो विद्यार्थी समूह, दो खेल की टीम के बीच संघर्ष|
दो विभिन्न पीढ़ियों अर्थात् पुरानी पीढ़ी एवं नई पीढ़ी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में पाये जाने वाले संघर्ष अंतर्पीढ़ीय संघर्ष के नाम (Inter-generational Conflict) से जाना जाता है|
तीव्र गति से सामाजिक परिवर्तन के कारण युवा शीघ्रता से अनुकूलन कर लेते हैं, लेकिन पुरानी पीढ़ी अपने परम्परागत स्वरूप को बनाए रखना चाहती है| परिणामस्वरूप प्रत्येक समाज में अंतर्पीढ़ीय संघर्ष दिखाई देता है| ऐसी स्थिति में एक पीढ़ी द्वारा धमकी या उत्पीड़न के द्वारा दूसरी पीढ़ी को दबाने का प्रयास किया जाता है, जैसे – दूसरी जाति या दूसरे धर्म में विवाह की इच्छा जाहिर करने पर|
कार्ल मैनहाइम के अनुसार पीढ़ियों से संबंधित समस्याएँ विशेष समाजशास्त्रीय घटना है, अभी तक आयु को एक जैवकीय तथ्य मानकर उसे समाजशास्त्रीय अध्ययन का विषय नहीं माना जाता था, लेकिन जब समाजशास्त्रियों का ध्यान आयु के आधार पर विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित संघर्ष की ओर जाने लगा तो इसे सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक तनाव के प्रमुख आधार के रूप में देखा जाने लगा|
अंतःपीढ़ीय संघर्ष के कारण (Causes of Intra-generational Conflict) –
(1) सामाजिक परिवर्तन –
नगरीकरण एवं औद्योगीकरण के कारण तेजी से बदलते समाज में जीवन शैली भी परिवर्तित हुई है जो इससे जितना प्रभावित हुआ उतना ही उसमें परिवर्तन दिखाई दिया, जैसे कोई धन को अधिक महत्त्व देता है तो कोई व्यक्ति के व्यवहार को| ऐसे में एक ही पीढ़ी के लोगों में संघर्ष दिखाई देने लगता है|
(2) नकारात्मक समाजीकरण –
सामान्यतः एक बच्चा अपने परिवार में समाज के मूल्यों एवं प्रतिमानों को सीखता है| लेकिन एक समय के बाद स्कूल या कॉलेज जाने पर ऐसे व्यवहार एवं आदर्शों को अपनाने लगता है जो समाज स्वीकृत नहीं है| ऐसे में अंतःपीढ़ीय संघर्ष स्वाभाविक हो जाता है|
(3) व्यक्तिवादिता –
समाज में कुछ लोग व्यक्तिवादी होते हैं| उनके लिए स्वयं के लाभ एवं हित सर्वोपरि होते हैं| ऐसे लोग दूसरे के हितो एवं सामूहिक कल्याण को नजरअंदाज करते हैं, जिससे संघर्ष उत्पन्न होता है|
(4) सांस्कृतिक लक्ष्य एवं संस्थागत साधनों के बीच असंतुलन –
प्रत्येक समाज अपने सदस्यों को लक्ष्य प्रदान करता है तथा उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधन| कभी-कभी जब व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुचित साधनों का पालन करने लगता है तो संघर्ष शुरू हो जाता है|
अंतर्पीढ़ीय संघर्ष के कारण (Causes of Inter-generational Conflict) –
जब दो पीढ़ियों के बीच वैचारिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यावहारिक आदि आधार पर तनाव या संघर्ष होता है तो इसे अंतर्पीढ़ीय संघर्ष कहते हैं|
दामले के अनुसार नई पीढ़ी समाज में अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व चाहती है लेकिन परंपरागत सामाजिक मूल्य इसमें बाधक हैं| यही दशा नई और पुरानी पीढ़ी के बीच संघर्ष पैदा करती है|
सोरोकिन के अनुसार गिरते हुए सामाजिक मूल्य, इंद्रियपरक संस्कृति के प्रति बढ़ता हुआ आकर्षण एवं व्यक्तिवादी मनोवृत्तियाँ अंतर्पीढ़ीय संघर्ष का प्रमुख कारण है|
अंतर्पीढ़ीय संघर्ष के कारणों को निम्न बिंदुओं में देखा जा सकता है –
(1) व्यक्तिगत स्वतंत्रता के प्रति लोगों का झुकाव|
(2) पश्चिमी संस्कृति के कारण तेजी से विकास करने की लालसा|
(3) नाभिकीय परिवारों के महत्त्व का बढ़ना|
(4) भौतिकवादी संस्कृति का अधिकाधिक प्रचलन|
(5) परम्परागत शिक्षा के स्थान पर नई एवं व्यावसायिक शिक्षा|
(6) सुखवादी एवं विलासी जीवन की प्रवृत्ति|