उपकल्पना/परिकल्पना का अर्थ (meaning of hypothesis in Hindi)
उपकल्पना अंग्रेजी के hypothesis का हिन्दी अनुवाद है| Hypothesis दो शब्दों से मिलकर बना है| Hypo+Thesis, hypo का अर्थ है प्रयोगात्मक या सत्यापित होने का विषय| जबकि thesis का अर्थ है- समस्या के समाधान का साक्ष्य| इस तरह hypothesis का हिन्दी अर्थ समस्या के समाधान का प्रयोगात्मक साक्ष्य|
उपकल्पना किसे कहते हैं
वैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में ही कुछ काम चलाऊ निष्कर्ष विकसित कर लिए जाते हैं| इस निष्कर्ष का सत्यापन अध्ययन के दौरान किया जाता है| प्रारंभिक काम चलाऊ निष्कर्ष को ही उपकल्पना या परिकल्पना कहा जाता है|
उपकल्पना की परिभाषा (definition of hypothesis in Hindi)
लुंडबर्ग (Lundberg) ने उपकल्पना की परिभाषा देते हुए कहा है कि “उपकल्पना एक कामचलाऊ निष्कर्ष है, जिसकी सत्यता की परीक्षा अभी बाकी है|
पी. वी. यंग (P.V. Young) ने परिकल्पना को परिभाषित करते हुए लिखा है की “एक अस्थायी लिकिन केन्द्रीय महत्त्व का विचार जो उपयोगी अनुशंधान का आधार बन जाता है, उसे हम एक कार्यकारी उपकल्पना कहते है”|
उपकल्पना के अंग (components of hypothesis)
उपकल्पना के पूर्ण होने के तीन अंग होते हैं-
1. परिवर्त (variables)
2. जनसंख्या (population)
3. परिवर्त के बीच सम्बन्ध (relation between variables)
उपकल्पना के प्रकार (types of hypothesis)
उपकल्पनाए परिवर्त्यों के वितरण एवं अन्तःसम्बन्ध के बारे में कथन है| इस आधार पर बर्नार्ड फिलिप्स (Bernard Philips) ने निम्न प्रकार की उपकल्पनाओं का उल्लेख किया है-
1. वर्णनात्मक उपकल्पना (descriptive hypothesis)
कुछ उपकल्पनाए परिवर्त्यों की विशेषता एवं वितरण से सम्बद्ध होती है, जैसे- भारत की 75% जनसंख्या कृषि रोजगार पर आश्रित है| भारतीय ग्रामीण जनसंख्या का 25% अशिक्षित है| ये उपकल्पनाए परिवर्त्यों के सहसंबंध के बारे में न होकर उनकी विशेषता या वितरण का विवरण प्रस्तुत करती है| इन्हें वर्णनात्मक उपकल्पना कहते हैं|
2. सम्बन्धात्मक उपकल्पना (relational hypothesis)
सामाजिक अनुसन्धान की अधिकांश उपकल्पनाए परिवर्त्यों के सम्बन्ध के बारे में होती है, जैसे- शिक्षा एवं सामाजिक गतिशीलता में सम्बन्ध| सामाजिक एकीकरण का आत्महत्या की दर में सम्बन्ध| सामाजिक एकीकरण का आत्महत्या की दर से विपरीत सम्बन्ध है| इन्हें सम्बन्धात्मक उपकल्पना कहते हैं|
3. कारणात्मक उपकल्पना (causal hypothesis)
ये सम्बन्धात्मक उपकल्पनाए हैं| ये परिवर्त्यों के बीच कारण-प्रभाव सम्बन्ध को दर्शाती है| उदहारण के लिए- कम के घंटो में बृद्धि के साथ कार्य संतुष्टि में कमी आती है, या उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति अधिक गतिशील होते हैं|
उपकल्पना की विशेषताएँ (characteristics of hypothesis)
1. उपकल्पना आनुभविक रूप से परखे जाने योग्य होनी चाहिए, चाहे यह सही हो या गलत|
2. उपकल्पना विवरणात्मक या सम्बन्धात्मक रूप में बनायीं जानी चाहिए|
3. उपकल्पना का किसी भी सत्यापित प्राकृतिक नियम के विरुद्ध नहीं होना चाहिए, जैसे- 2+2=4 होता है| अतः हम किसी ऐसी उपकल्पना का निर्माण नहीं करेंगे जिसमे हम 2+2=5 के सत्यता की जांच करें|
4. उपकल्पना में विरोधाभाव नहीं होना चाहिए, जैसे- गुलाब लाल है लेकिन रंगीन नहीं|
5. यह सुनिश्चित होना चाहिये की उपलब्ध तकनीकि के आधार पर हम उपकल्पना की जाँच कर सकते हैं|
गुडे एवं हैट (Goode and Hatt) ने एक उपयोगी उपकल्पना की निम्नलिखित 5 विशेषताओं का वर्णन किया है-
1. स्पष्टता (clarity)
एक शोधकर्ता के उपकल्पना की भाषा कोइतना स्पष्ट कर देना चाहिए ता कि उसकी मनमानेपन से कोई विश्लेषण न कर सके|
2. अनुभवसिद्धता (empricism)
शोधकर्ता को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की उपकल्पना का निर्माण ऐसा हो जिसके सत्यता की जाँच की जा सके| वह आदर्शात्मक न हो| गुडे एवं हैट के अनुसार कुछ उपकल्पनाए आदर्शात्मक होती है, जैसे- पूंजीपति श्रमिकों का शोषण करते हैं, या सभी अधिकारी भ्रष्ट होते हैं| in दोनों उप्कल्पनाओं में अनुभवसिद्धता का अभाव होता है|
3. विशिष्टता
शोधकर्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि उपकल्पना सामान्य न होकर विशिष्ट हो| विशेष पक्ष से सम्बंधित उपकल्पना के द्वारा यथार्थ की जानकारी प्राप्त होती है|
4. उपलब्ध तकनीकि से सम्बंधित (ralated with available technique)
शोधकर्ता को ऐसी ही उपकल्पना का निर्माण करना चाहिए जिसका परीक्षण करने के लिए तकनीक उपलब्ध हो| गुडे एवं हैट के अनुसार एक सिद्धांतकार, जो यह नहीं जानता कि उसके उपकल्पना के परीक्षण के लिए कौन सी प्रविधि उपलब्ध है, उपयोगी प्रश्नों की रचना में कमजोर हो जाता है| (“The theorist who does not know what techniques are available to test his hypothesis is in a poor way to formulate usable questions”)
5. सिद्धांतों से सम्बंधित
गुडे एवं हैट के अनुसार “जब अनुसन्धान व्यवस्थित रूप से पूर्व-स्थापित सिद्धांतों पर आधारित होता है तो ज्ञान में यथार्थ योगदान की सम्भावना अधिक हो जाती है|
उपकल्पना की रचना (formulation of hypothesis)
हम अवलोकन के आधार पर किसी घटना का तार्किक समाधान प्रस्तुत करते हैं| जब हम समाधान को बताने की स्थिति में होते हैं तो हम यह भी सोंचते हैं कि इसे सत्यापित या गलत कैसे साबित करें| जब हम उन तरीकों को भी समझ लेतें हैं जिसके आधार पर किसी घटना को सही या गलत सिद्ध किया जा सकता है| तब इस स्थिति तक हम उपकल्पना की रचना कर चुके होते हैं|
उपकल्पना की रचना के आधार
उपकल्पना का कोई निश्चित प्रारूप नहीं होता है| अध्ययन क्षेत्रों, विषयों एवं परिस्थितियों के आधार पर उपकल्पना के प्रारूप बदलते रहते हैं| गुडे एवं हैट ने उपकल्पना के रचना के तीन आधार बताये हैं-
1. अनुभवसिद्ध समानताएं
यह कुछ विशेष मान्यताओं या सामान्य अनुभवों पर आधारित होता है, जैसे गाँव की तुलना में नगरों में अपराध अधिक होते हैं| इस सामान्य अनुभव के आधार पर उपकल्पना का निर्माण कर सत्यापन किया जाता है|
उदहारण के लिए- सैमुएल स्टाफर ने अमेरिकी सैनिको के अध्ययन में जो अनुभव प्राप्त किया| उसके आधार पर निर्मित उपकल्पना द्वारा तुलनात्मक अभाव-बोध (relative deprivation) एवं सन्दर्भ समूह (reference group) सिद्धान्त का निर्माण हो सका|
2. आदर्श प्रारूप (ideal type)
उपकल्पना की रचना में आदर्श प्रारूप महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे- भारत में सभी वर्गों को समान महत्त्व दिए गए हैं, फिर भी उच्च एवं निम्न जातियों में मतभेद एवं शोषण की भावना बनी हुयी है| इस आदर्श प्रारूप के आधार पर उपकल्पना निर्माण के बाद सत्यता की जाँच की जा सकती है|
3. चरों के सह-सम्बन्ध (co-relation of variables)
उप्कल्पनाओं के निर्माण का प्रमुख आधार विभिन्न इकाइयों के बीच पाया जाने वाला सह सम्बन्ध है, जैसे- यदि जनसंख्या वृद्धि की स्थिति जानने के लिए हम समूहों या समाजों का अध्ययन करते हैं| हम यह पातें हैं की जिस समूह में जन्म दर कम है, वहाँ शिक्षा एवं आर्थिक सम्पन्नता अधिक है| तब यह उपकल्पना निर्मित की जाती है कि जन्म दर का शिक्षा एवं आर्थिक सम्पन्नता से सह-सम्बन्ध है|
उपकल्पना के श्रोत (sources of hypothesis)
1. वैज्ञानिक सिद्धान्त
2. दो घटनाओं के बीच सादृश्यता का होना
3. व्यक्तिगत अनुभव द्वारा
4. लोगों के विचारों को प्रभावित करने वाले कारक
5. पूर्व के अध्ययन
6. व्यक्तियों के विचार
गुडे एवं हैट द्वारा दिए गए उपकल्पना के रचना के श्रोत को निम्न विन्दुओं में देखा जा सकता है-
1. सामान्य संस्कृति
प्रत्येक समाज की अपनी एक विशेष संस्कृति होती है| संस्कृति ही स समाज के स्वरुप का निर्धन करती है| गुडे एवं हैट के अनुसार अमेरिकी संस्कृति वैयक्तिक प्रसन्नता एवं सुख का विशेष महत्त्व होता है| इसलिए समाज विज्ञानियो ने ऐसी उप्कल्पनाए बनायीं हैं, जिसके द्वारा वैयक्तिक प्रसन्नता का आय, शिक्षा, व्यवसाय, परिवार के आकार से सह-सम्बन्ध को समझा जा सके|
2. वैज्ञानिक सिद्धान्त
अनेक विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किये गए सिद्धान्त भी उपकल्पना के निर्माण में सहायक होते हैं| एम. एन. श्रीनिवास की संस्कृतिकरण की अवधारणा के आधार पर जाति की गतिशीलता सम्बन्धी अनेक उप्कल्पनाए विकसित की गयी हैं|
3. समरूपताए (analogies)
जब दो स्थितियों के बीच कुछ सादृश्यताए दिखायी देती है, तो नई उपकल्पना का निर्माण सम्भव हो जाता है| उदहारण के लिए- स्पेन्सर ने सामाजिक उद्विकास की अवधारण के विकास में जीव के उद्विकास की सादृश्यता की उपकल्पना का प्रयोग किया|
4. व्यक्तिगत अनुभव
शोधकर्ता का अनुभव भी उपकल्पना का प्रमुख श्रोत होता है| जिसके आधार पर कुछ विशेष प्रकार की उपकल्पनाओं का निर्माण संभव हो पाता है| लोम्ब्रोसो एक सैन्य डॉक्टर थे, अपने अनुभवों के आधार पर ही उन्होंने इस उपकल्पना का निर्माण किया कि, अपराधी जन्मजात होते हैं|
5. विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्ष
समाज विज्ञानियों द्वारा किये गए अनुसन्धान एवं उसके निष्कर्ष भी उपकल्पनाओं की रचना के श्रोत होते हैं|
उपकल्पना का महत्त्व
1. सिद्धान्त को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है|
2. सिद्धांतों की जाँच एवं पुष्टि में सहायता देता है|
3. जाँच एवं सिद्धान्त के बीच सेतु का कार्य करता है|
4. शोध कार्य को आधार प्रदान करता है|
5. सामाजिक घटनाओं की व्याख्या करता है|
6. उपकल्पना अध्ययन की दिशा को निर्धारित करता है|
7. पी. वी. यंग के अनुसार उपकल्पना से अनुसंधानकर्ता ऐसे तथ्यों को एकत्रित करने से बच जाता है, जो बाद में अध्ययन विषय के लिए व्यर्थ सिद्ध होते हैं|
8. उपकल्पना निर्माण से अध्ययन क्षेत्र सीमित हो जाता है|
9. उपकल्पना निर्माण से अध्ययन में समय की बचत होती है|
10. उपकल्पना के आधार पर यह निश्चित हो जाता है कि किन तथ्यों का संकलन करना है, और किसे छोड़ना है|
11. तर्कसंगत निष्कर्ष प्राप्त करने में सहायक होता है|