Shri Hanuman Chalisa in Hindi| हनुमान चालीसा हिंदी में
हनुमान जी ही त्रेता युग के ऐसे अवतार हैं जो अजर-अमर हैं|
श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना तुलसीदास ने की है| यह अवधी भाषा में लिखा गया है| इसमें 40 चौपाइयां है| इन चौपाइयों के माध्यम से हनुमानजी के गुण, बल एवं पराक्रम की पराकाष्ठा को उकेरा गया है| चौपाइयों में हनुमान जी से प्रार्थना की गई है कि वे हमें बल एवं बुद्धि से अनुग्रहित करें| विशेष चौपाइयों के माध्यम से हनुमानजी का आह्वाहन किया गया है कि वे आकर नकारात्मक प्रवित्तियों को जीवन से दूर करें एवं सुख प्रदान करें| आज भी भक्त संकट के समय इन्ही चौपाइयों के सहारे आशा की किरण प्राप्त करते हैं| पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कहते हैं कि जब कभी मैं हताश होता हूं, तो हनुमान लॉकेट मुझे प्रेरणा देता है|
ध्यातव्य है हनुमान जी अजर-अमर हैं| यह वरदान श्रीराम को भी नहीं था, हालाँकि श्रीराम विष्णु के अवतार के रूप में आए थे, और समय आने पर बैकुंठधाम जाकर अपने शरीर को त्याग दिया| इसलिए हनुमानजी आज भी मौजूद है, बस आपको आह्वाहन करने की जरूरत है|
व्यक्ति अपने विशेष कष्टों को श्री हनुमान चालीसा की विशेष चौपाई के माध्यम से समाधान करता है
हनुमान चालीसा का अर्थ| Hanuman Chalisa ka arth
श्री हनुमान चालीसा की प्रत्येक चौपाई का अपना अर्थ है| व्यक्ति को कष्ट या किसी चीज की कमी होने पर जब उन्ही चौपाइयों के माध्यम से हनुमानजी का आह्वाहन सच्ची भक्ति से करता है, तो हनुमानजी उसकी सहायता अवश्य करते हैं|
यदि आप हमेशा बीमारियों से परेशान हैं तो यह चौपाई आपके लिए वरदान साबित हो सकती है:
नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा
यदि कोई व्यक्ति भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से भयभीत रहता है और उससे निजात पाना चाहता है, तो यह चौपाई है:
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे
यदि आप किसी संकट में हैं और आपको कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा है तो यह चौपाई है:
संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
हनुमान चालीसा की उत्पत्ति| तुलसीदास ने हनुमान चालीसा क्यों लिखा
एक समय की बात है मुग़ल सम्राट अकबर ने तुलसीदासजी को अपने दरबार फतेहपुर सिकरी में बुलाया और उनके सामने दो पेशकश की
- जिस तरह उन्होंने राम चरित मानस की रचना की, उसी तरह अकबर के बारे में एक ग्रन्थ की रचना करें|
- अकबर को भी भगवान श्रीराम से मिलवाए|
हले प्रश्न के उत्तर में तुलसीदास जी ने साफ मना कर दिया कि वे अकबर के बारे में किसी ग्रन्थ की रचना नहीं करेंगे|
दूसरे प्रश्न के जवाब में तुलसीदास जी कहते हैं कि प्रभु श्रीराम केवल भक्तों को ही दर्शन देते हैं|
उपर्युक्त दोनों बातों के जवाब को अकबर ने अपनी तौहीन समझा और तुलसीदास जी को कारागार में डलवा दिया|
कहा जाता है कि संकट के इसी घड़ी में तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की| और पहली बार जब सुना रहे थे तो हनुमान जी स्वयं बुजुर्ग व्यक्ति के भेष में चालीसा को सुना|
(ध्यातव्य हो कि महाभारत में भीम को भी हनुमानजी बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में मिले थे)
कहा जाता है कि हनुमान चालीसा की रचना के बाद फतेहपुर सिकरी में बहुत सारे बन्दर आ गए और अकबर का बहुत नुकसान करने लगे| तब अपने मत्रियों की सलाह के बाद अकबर ने तुलसीदासजी को कारागार से रिहा कर दिया|
वर्तमान में श्री हनुमान चालीसा का प्रभाव| hanuman chalisa ka prabhav
वर्तमान समय में माना जाता है कि हनुमान चालीसा की चौपाई को यदि पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पढ़ ले तो अजर-अमर हनुमानजी भक्त की सहायता भी करते हैं और उसे कोई कष्ट नहीं होने देते|
आइये जानते हैं बागेश्वरधाम के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री जी हनुमान चालीसा की एक विशेष चौपाई के बारे में क्या कहते हैं:
कवन सो काज कठिन जग माहीं, जो नहिं होइ तात तुम पाहीं
शास्त्रीजी के अनुसार अगर इस चौपाई को श्रद्धापूर्वक 11 बार बोलकर अपनी मनोकामना को बजरंगबली के सामने रखते हैं तो आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी|
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा अपनी कुछ विशेष चीजो में जो हमेशा पास रखते हैं उसमें एक हनुमान का लॉकेट है| ओबामा कहते हैं कि जब कभी वे हताश हो जाते हैं तो हनुमान जी का लॉकेट प्रेरणा देता है| बाप जरा सोंचिए कि विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के रूप में जाने जाने अमेरिका के राष्ट्रपति भी मुसीबत में हनुमान जी की ही मदद लेते हैं|
हनुमान जी की वह तस्वीर जिसमे वे अपना ह्रदय चीरकर राम सीता की तस्वीर दिखाते हैं
हनुमान चालीसा क्यों है प्रभावशाली| Hanuman Chalisa prabahvshali
प्राचीन काल से ही मन्त्रों एवं चौपाइयों की विशेष शक्ति रही है| मन्त्र से अग्नि उत्पन्न करना, मंत्र से शस्त्रों का आह्वाहन करना, किसी को श्राप देना, तिलिस्म का निर्माण करना आदि मन्त्रों की सहायता से किया जाता था| (महाभारत में श्रीकृष्ण ने भी जल को थल एवं थल को जल दिखने वाला तिलिस्म का निर्माण किया था; और दुयोधन जल को थल समझकर गिर पड़े| इसी समय द्रोपदी ने कहा था अंधे का बेटा अंधा ही होता है| जिसका बदला दुर्योधन ने चीर हरण करवा के लिया था|)
मन्त्रों एवं चौपाइयों का आज भी महत्त्व है| बस इसे सच्ची श्रद्धा से उपयोग करने की जरुरत हैं |
Disclaimer: इस ब्लॉग पोस्ट में हनुमानजी के बारे में बताई गयी जानकारी विभिन्न श्रोतों से प्राप्त हैं| इसमें बताये गए उपाय अनुभवों एवं परम्पराओं से लिए गए है| यदि कोई व्यक्ति उपाय करता है और उसे लाभ नहीं होता है तो कहीं कोई कमी अवश्य है| इसके लिए यह ब्लॉग पोस्ट जिम्मेदार नहीं हैं| जैसे बीमार होने पर किसी को दवा असर कर जाती है तो किसी को नहीं|