[wbcr_php_snippet id=”362″ title=”before_post_ad_unit”]
मानव समाज के संदर्भ में सामान्यतः समाज एवं संस्कृति की अवधारणा को पर्यायवाची समझा जाता है| लेकिन विशिष्ट एवं समाजशास्त्रीय अर्थों में समाज एवं संस्कृति की अवधारणा एक दूसरे से भिन्न है|
समाज, सामाजिक संबंधों की एक व्यवस्था है, ये संबंध संस्थाओं द्वारा परिभाषित प्रस्थिति एवं भूमिका के अनुसार निर्धारित होते हैं| जबकि संस्कृति मनुष्य द्वारा निर्मित भौतिक एवं अभौतिक स्वरूपों की व्यवस्था है| भौतिक संस्कृति मूर्त होती है जिसका आकार होता है, जिसे हम देख सकते हैं जैसे – मकान, गाड़ी, कम्प्यूटर आदि| जबकि अभाैतिक संस्कृति अमूर्त होती है, इसे हम देख नहीं सकते, जैसे – धर्म, विश्वास, प्रथा, ज्ञान आदि|
सामाजिक संबंधों में होने वाले परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहते हैं| सम्बन्धों में परिवर्तन मित्रतापूर्ण से शत्रुतापूर्ण, अनौपचारिक से औपचारिक, वैयक्तिक से अवैयक्तिक आदि सामाजिक परिवर्तन के उदाहरण हैं, जबकि विचारों एवं वस्तुओं में होने वाला परिवर्तन सांस्कृतिक परिवर्तन है| आवासीय शैली, विचार, वाहन, भोजन, पोशाक तथा प्रौद्योगिकी आदि में परिवर्तन मूलतः सांस्कृतिक परिवर्तन है| एक उदाहरण से समझना चाहे तो व्यक्ति का मांसाहारी से शाकाहारी बनना सांस्कृतिक परिवर्तन है, जबकि दो लोगों के संबंध मित्रतापूर्ण से शत्रुतापूर्ण होना सामाजिक परिवर्तन है|
[wbcr_php_snippet id=”367″ title=”in_post_ad”]
पारसन्स के अनुसार सांस्कृतिक परिवर्तन का सम्बन्ध केवल विभिन्न मूल्यों, विचारों और प्रतीकात्मक अर्थपूर्ण व्यवस्थाओं में परिवर्तन से है, जबकि सामाजिक परिवर्तन का सम्बन्ध व्यक्ति और समाज के बीच होने वाली अंत:क्रियाओं में परिवर्तन से हैं|
सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर को निम्न बिंदुओं में देखा जा सकता है –
(1) सांस्कृतिक परिवर्तन एक वृहद् अवधारणा है, जिसके अंतर्गत मूर्त एवं अमूर्त दोनों पक्ष शामिल हो जाते हैं, जबकि सामाजिक परिवर्तन के अंतर्गत केवल अमूर्त पक्ष ही शामिल होते हैं|
(2) सामाजिक परिवर्तन मात्र सामाजिक संबंधों में होने वाला परिवर्तन है जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन धर्म, कला, साहित्य, विज्ञान, आदि में होने वाला परिवर्तन है|
(3) सामाजिक परिवर्तन चेतन एवं अचेतन दोनों तरह के बदलाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है, जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन प्रायः चेतन एवं सचेष्ट प्रयास का परिणाम होता है|
(4) सामाजिक परिवर्तन की गति काफी तीव्र हो सकती है, जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन की गति अपेक्षाकृत धीमी होती है|
[wbcr_html_snippet id=”868″ title=”post_footer”]
[wbcr_php_snippet id=”364″ title=”after_post_ad_unit”]