पुरुषार्थ (Purusharth)

पुरुषार्थ पुरुषार्थ लोगों को समाज में क्रिया करने का मार्गदर्शन करता है| मनुष्य का उद्देश्य संसार में सुखी जीवन व्यतीत करना है| यह सब तभी संभव है, जब उसकी इच्छा एवं आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके| पुरुषार्थ के प्रकार हिंदू शास्त्रों में चार प्रकार के पुरुषार्थ यथा – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की चर्चा … Read more

पुनर्जन्म का कारण एवं कर्म का सिद्धांत (Doctrine of Karma)

Karm ka siddhant

कर्म क्या है – Doctrine of Karma in Hindi; कर्म का तात्पर्य क्रिया या कार्य से है| कर्म सिद्धांत के अनुसार मनुष्य जो भी कार्य करता है उसे उसका फल अवश्य प्राप्त होता है| वह अपने जीवन में जो सुख या दुख भोगता है वह उसके कर्मो का ही फल है| व्यक्ति के कर्म ही … Read more

भारतीय समाज की संरचना : धर्म

धर्म भारतीय समाज की संरचना : धर्म; सामान्य अर्थों में अति प्राकृतिक शक्ति में विश्वास ही धर्म है| जिसे व्यक्ति पूजा, आराधना एवं कर्मकाण्डों  माध्यम से समर्पित करता है| किंतु यह धर्म के अंग्रेजी शब्द रिलिजन की परिभाषा है| भारतीय शास्त्रों में धर्म का तात्पर्य कर्तव्यों का पालन करना है, क्योंकि व्यक्ति अपने कर्तव्यों से विमुख … Read more

सामाजिक स्तरीकरण एवं विभेदीकरण
(Social Stratification and Differentiation)

सामाजिक स्तरीकरण सामाजिक स्तरीकरण व्यक्तियों का समूहों के आधार पर उच्चता एवं निम्नता के स्तर पर विभाजन है | सामाजिक स्तरीकरण में हम मुख्यतः असमानता (Inequality) का अध्ययन करते हैं | असमानता (भिन्नता) प्राकृतिक या जैविकीय (जैसे – जन्म से ही बच्चे में मानसिक विकार) भी हो सकती है सामाजिक भी | सामाजिक असमानता अगर … Read more

व्यक्ति और समाज (Individual and Society)

व्यक्ति और समाज के संबंध के विषय में मुख्यतः दो सिद्धांत दिए गए हैं| पहला -सामाजिक समझौते का सिद्धांत, जिसमें व्यक्ति को प्राथमिक एवं समाज को गौण माना गया है| दूसरा समाज का सावयवी सिद्धांत, जिसमें समाज को प्राथमिक एवं व्यक्ति को गौण माना गया है| अंत:क्रिया द्वारा व्यक्तियों के बीच जो संबंध पाये जाते … Read more

धर्म (Religion)

धर्म शब्द का प्रयोग अलौकिक शक्ति में विश्वास के लिए किया जाता है | इस विश्वास का प्रभाव मानवीय जीवन के व्यवहार पर भी पड़ता है जिसे मनुष्य पूजा, आराधना एवं विभिन्न कर्मकाण्डों के माध्यम से चालित करता है | विश्व में कोई भी समाज ऐसा नहीं है जिसमें धर्म या ईश्वर या किसी शक्ति … Read more

परिवार : परिभाषा, प्रकार, विशेषताएँ(Family: Definition, Types, Characteristics)

परिवार की परिभाषा (Definition of Family) परिवार एक छोटा सामाजिक समूह है, जिसके अंतर्गत पति-पत्नी एवं उनके बच्चे शामिल होते हैं | प्रत्येक मानव समाज में नवजात शिशु के लालन-पालन की आवश्यकता होती है यह लालन पालन माता-पिता द्वारा हो या अन्य द्वारा , इससे जुड़े कुछ नियम पाए जाते हैं जो परिवार को एक … Read more

विवाह (Marriage)

विवाह (marriage) विवाह एक सार्वभौमिक एवं अनिवार्य संस्था है , जो प्रत्येक समाज में विभिन्न संस्कारों एवं कर्मकाण्डों द्वारा संपन्न किया जाता है | यह स्त्री एवं पुरुष को यौन संबंध स्थापित करने एवं बच्चों को जन्म की सामाजिक वैधता प्रदान करता है | विवाह पुरुष एवं स्त्री की प्रस्थिति (Status) को परिवर्तित कर उन्हें … Read more

सामाजिक समूह (Social Group)

सामाजिक समूह मनुष्य का जीवन वास्तव में सामूहिक जीवन है | मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहने का तात्पर्य भी यही है कि वह समूह में रहता है | प्रत्येक व्यक्ति का जन्म समूह में ही होता है एवं समूह के माध्यम से ही वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति एवं पूर्ति करने के तरीके को सीखता … Read more

समुदाय| समिति| संस्था (Community| Association| Institution in hindi)

समुदाय (Community) किसे कहते हैं? समुदाय का तात्पर्य व्यक्तियों के ऐसे समूह से है ,जो किसी निश्चित भू-क्षेत्र में रहते हैं तथा सभी व्यक्ति आर्थिक एवं राजनैतिक क्रियाओं में एक साथ भाग लेते हैं एवं एक स्वायत्त इकाई का निर्माण करते हैं | समुदाय का एक साझा मूल्य होता है जिससे वे एक दूसरे से … Read more

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