(1) मेरी माँ ने मुझसे कहा था “यदि तुम एक सैनिक हो तो सेनापति बनोगे, यदि तुम एक साधु हो तो पोप बनोगे, लेकिन मैं एक चित्रकार था और पिकासो बन गया| By – पाबलो पिकासो
उक्त कोट स्पेन के महान चित्रकार पाबलो पिकासो का है| सामान्यतः देखा जाता है कि कोई व्यक्ति जिस क्षेत्र में जाना चाहता है, उस क्षेत्र के सफल किसी व्यक्ति को रोल मॉडल के रूप में देखता है – जैसे क्रिकेटर बनने की इच्छा रखने वाले सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी आदि किसी को रोल मॉडल के रूप में देखते हैं| एक्टर बनने का ख्वाब है तो अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान| एक्ट्रेस बनने का ख्वाब है तो ऐश्वर्य राय या माधुरी दीक्षित| साथ ही उनके कार्यों का अनुकरण करने का प्रयास किया जाता है| लेकिन पाबलो पिकासो ने नई मिशाल पेश की| अपने लगन एवं प्रयास से चित्रकारी में सफलतम व्यक्तियों में स्वयं शामिल हो गये, और लोग उन्हें रोल मॉडल के रूप में देखने लगे एवं उनका अनुकरण करने लगे|
(2) कोई भी बड़ी उपलब्धि धीरे-धीरे हासिल होती है|
By – Unknown
जब हम किसी कार्य को करते हैं तो हम उसका आउटपुट बहुत जल्द प्राप्त करने की आशा करते हैं| लेकिन सत्य तो यह है कि जितनी बड़ी आपकी उपलब्धि होगी उतना ही वक्त आपको सफल होने में लगेगा| उपलब्धि कौन सी बड़ी या छोटी है वह उस सोच पर निर्भर करता है जो सफलता प्राप्त करने या धन प्राप्त करने के समय से संबंधित है| इसे हम निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं –
तत्काल पैसा किसे चाहिए – भिखारी को
एक दिन में पैसा किसे चाहिए – दिहाड़ी मजदूर को|
एक महीने में पैसा किसे चाहिए – नौकरी करने वाले लोगों को
1 साल में पैसा किसे चाहिए – दुकानदार को
पांच साल में पैसा किसे चाहिए – बिजनेसमैन को
आपके पैसा प्राप्त करने की सोच पर भी यह निर्भर करता है कि आप क्या बनना चाहते हैं|
(3) जो मानवीय इतिहास में कभी सम्भव न हुआ हो, उसके लिए भी प्रयास से परहेज न करें, क्योंकि प्रत्येक अविष्कार पूर्णतः नवीन होता है|
By – RS
बहुत से लोग मन में पहले से ही यह धारणा बना लेते हैं कि ऐसी सफलता तो किसी को मिली ही नहीं है, हमें कैसे मिल जाएगी? अगर यह बात राइट (Wright) बंधुओं ने सोची होती तो आज हवाई जहाज (Aeroplane) का निर्माण न हुआ होता| अगर यह बात किरण बेदी ने सोचा होता तो आज भारत की पहली महिला IPS होने का ताज किसी और के सिर पर होता| इसलिए व्यक्ति जब Regular एवं Punctual होकर लक्ष्य की ओर बढता है तो उसे सफलता अवश्य मिलती है|
(4) कर्म बीज के समान है और भाग्य भूमि के समान|
From – महाभारत
सामान्यतः यह सुनने में आ जाता है कि जो तकदीर या भाग्य में लिखा होगा वही मिलेगा और जितना लिखा होगा उतना ही मिलेगा| इस पर मेरा प्रश्न है कि यदि व्यक्ति बिल्कुल भी प्रयास न करें तो क्या उसे भाग से कुछ प्राप्त हो पाएगा| जैसे यदि एक बालक परीक्षा ही न दे तो निश्चय ही पास नहीं होगा| तो क्या उसके भाग्य में फेल होना लिखा था? पुनः यदि वह परीक्षा देकर पास हो जाता है तो क्या उसका भाग्य बदल गया? या उसके भाग्य में ही लिखा था कि वह एक बार फेल होगा फिर पास| इस तरह से तो जीवन के प्रत्येक घटना को भाग्य के रूप में निरूपित किया जा सकता है एवं व्यक्ति का कर्म पूरी तरह महत्त्वहीन साबित हो जाएगा| मैं यह नहीं कहता कि भाग्य नहीं होता| लेकिन इतना अवश्य है कि कर्म का महत्त्व भाग्य से अधिक है| किसी भी सफलता को प्राप्त करने में कर्म की भूमिका भाग्य से कहीं अधिक होती है|
महाभारत में युधिष्ठिर ने भीष्म से प्रश्न किया कि कर्म और भाग्य में कौन प्रधान है? इस पर भीष्म का जवाब था कि कर्म बीज के समान है और भाग्य भूमि के समान| जिस तरह बिना बीज के भूमि फसल नहीं दे सकती, उसी प्रकार बिना कर्म के भाग्य निष्फल रहता है| स्पष्ट है कि भाग्य में स्वयं शक्ति नहीं होती, कर्म से ही इसे शक्ति प्राप्त होती है| यदि व्यक्ति का कर्म बदल जाय तो भाग्य अपने आप बदल जाता है|
(5) असफलता भी हमें बहुत कुछ सिखा जाता है|By – RS
जब प्रयास करने पर भी व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती, तो उसे लगता है कि जीवन में कुछ नहीं मिला एवं उसका सारा प्रयास शून्य हो गया| जबकि वह यह भूल जाता है कि इस असफलता में जिन चुनौतियों का सामना उसने किया है वह अनुभव उसे मिला है| यदि वह भविष्य में किसी भी क्षेत्र में प्रयास करता है तो वह चुनौतियों को पहले से ही दरकिनार करते हुए सफलता को अवश्य प्राप्त करेगा| उदाहरण के रूप में देखें तो अमिताभ बच्चन को कलकत्ता रेडियो ने इसलिए नौकरी देने से इंकार कर दिया कि उनकी आवाज मोटी थी| लेकिन उन्होंने स्वयं को सुधारते हुए अपना प्रयास जारी रखा और आज वे सफल ही नहीं बल्कि सदी के महानायक के रूप में स्थापित हैं|