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भारत बहु-सांस्कृतिक देश होने के साथ भौगोलिक आधार पर भी एक दूसरे से भिन्न हैं| यहाँ उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम तक अनेक भिन्नता को देखा जा सकता है| भारत के क्षेत्रीय समस्याओं को निम्न विन्दुओं में देखा जा सकता है –
(1) उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्या
(2) कश्मीर की समस्या
(3) पहाड़ी क्षेत्रों की समस्या
(4) नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की समस्या
(5) मैदानी क्षेत्र की समस्या
(6) जनजातीय क्षेत्रों की समस्या
(1) उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्या
उत्तर पूर्वी राज्यों के लोग शारीरिक रूप से देश के अन्य भागों से भिन्न हैं| जब वहाँ पर दूसरे राज्यों के लोग रोजगार या अन्य कार्यों से जाते हैं तो उन्हें अपनी संस्कृति एवं संसाधनों के अस्तित्व पर संकट महसूस होता है| परिणाम स्वरूप वे अति-आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं|
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(2) कश्मीर की समस्या
कश्मीर में कुछ अलगाववादी संगठन धर्म के आधार पर अलग देश या देश से अलग होने की माँग कर रहे हैं| घाटी का क्षेत्र होने के कारण उत्पादन बहुत कम है एवं बेरोजगारी अधिक है| इसलिए कुछ अलगाववादी संगठन युवाओं को देश की मुख्यधारा से भटकाने का प्रयास कर रहे हैं| यहाँ तक कि युवाओं का सेना के साथ झड़प भी देखने को मिलता है|
(3) पहाड़ी क्षेत्रों की समस्या
पहाड़ी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा से अपार जन-धन की हानि होती है, साथ ही खेती योग्य जमीन भी नहीं रहती है| पर्यटन ही यहाँ का मुख्य व्यवसाय होता है| ऐसे क्षेत्रों में रोजगार की समस्या बनी रहती है|
(4) नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की समस्या
नक्सलवाद एक प्रकार का वैचारिक आतंकवाद है| यह देश की किसी भी संवैधानिक संस्था में विश्वास नहीं करता है| ऐसे क्षेत्र जहाँ गरीबी अधिक है, लोगों के लिए आय के साधन नहीं है| वहाँ नक्सलवाद तेजी से पनपता है| भारत के लगभग 13 राज्यों में इसका प्रत्यक्ष प्रभाव देखने को मिलता है|
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(5) मैदानी क्षेत्र की समस्या
मैदानी क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक होने के कारण परम्परागत स्रोत व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम नहीं हैं| अतः रोजगार, शिक्षा, आदि की समस्यायें रहती हैं| रोजगार प्राप्ति के लिए दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं तो वहां के संसाधनों पर भी दबाव बढ़ता है| जिससे दो क्षेत्रों के लोगों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है| जिसे महाराष्ट्र एवं उत्तर पूर्वी राज्यों की घटनाओं में देखा जा सकता है|
(6) जनजातीय क्षेत्रों की समस्या
जनजातीय, समाज की मुख्यधारा से अलग रहते हैं| गरीबी में लगातार रहने के कारण उनमें एक संस्कृति उत्पन्न हो जाती है, जिसे ऑस्कर लेविस दरिद्रता की संस्कृति (Culture of Poverty) कहते हैं, जो परिवर्तन की विरोधी होती है| मुख्यधारा की संस्कृति में आने से इनकी संस्कृत के नष्ट होने का खतरा भी बना रहता है|
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Bahut achha class tha sir ji 👌👌🙏🙏
काफी सरल तरीके से विषय को लिखा गया है जिससे समझने में आसानी हुईं|आपके लेखों से मैं लाभान्वित हुआ हू |
thank you